पुजारियों और ग्रंथियों के लिए वेतन लेकिन बौद्ध विहार, बाल्मीकि मंदिर, रविदास मंदिर, कबीर मठ और चर्च के भिक्षुओं और पुजारियों के लिए क्यों नहीं?

पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों के लिए वेतन लेकिन बौद्ध विहार, बाल्मीकि मंदिर, रविदास मंदिर, कबीर मठ और चर्च के भिक्षुओं और पुजारियों के लिए क्यों नहीं?: डॉ उदित राज

 

नई दिल्ली, 4 जनवरी : डॉ. उदित राज, राष्ट्रीय चेयरमैन, दलित, ओबीसी, माइनॉरिटीज और आदिवासी (डोमा) परिसंघ ने आज प्रेस वार्ता करके दिल्ली सरकार से कुछ अहम सवाल पूछे ,
प्रेस वार्ता में भन्ते विनयशील महथेरो – अध्यक्ष, दिल्ली प्रदेश भिक्षु महासंघ, श्री रंजीत सिंह – महासचिव, भारतीय बौद्ध महासभा, डोमा परिसंघ के राष्ट्रीय महासचिव, एड. शाहिद अली, राष्ट्रीय कॉर्डिनेटर एड. सतीश सांसी एवं किरणजीत सिंह गेरी चेयरमैन, नेशनल दलित महापंचयत भी मौजूद रहे।

उदित राज ने पूछा कि मंदिर के पुजारियों और गुरुद्वारे के ग्रंथियों के लिए वेतन मान की घोषणा कर दिया है लेकिन बौद्ध विहार, बाल्मीकि मंदिर, रविदास मंदिर, कबीर मठ और चर्च के भिक्षुओं और पुजारियों के लिए क्यों नहीं?।
अंबेडकर सम्मान छात्रवृत्ति नई बोतल में पुरानी शराब जैसी घोषणा है। श्री अरविंद केजरीवाल ने 2020 के विधानसभा चुनाव से पहले दलित छात्रों के लिए इसी तरह की उच्च शिक्षा छात्रवृत्ति की घोषणा की थी, लेकिन केवल कुछ ही छात्र इसका लाभ उठा पाए। अब इसे एक नए नाम के साथ फिर से शुरू किया है।
डॉ अंबेडकर का चित्र लगाकर वोट की ठगी कब तक चलेगी? डॉ. राजेंद्र पाल गौतम, तत्कालीन समाज कल्याण मंत्री ने क्या गलती की थी जिनसे बड़े चतुराई से इस्तीफा ले लिया था।
क्या वजह है कि दलित समाज के 3 मंत्रियों को इस्तीफा देना पड़ा ,
डॉ. उदित राज जी ने कहा कि अरविंद केजरीवाल की दलित और आरक्षण विरोधी सोच कोई नई नहीं है। 2 अगस्त, 2008 को जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय के ताप्ती छात्रावास में यूथ फॉर इक्विलिटी फोरम के मंच से आरक्षण के विरोध में बोला था। इन्होंने यूथ फॉर इक्विलिटी का नेतृत्व करके आरक्षण की खिलाफत किया था। ये डॉ. अंबेडकर के नाम पर दलितों का वोट लेते हैं लेकिन डॉ. अंबेडकर के विचारों और दलितों से घृणा करते हैं।
शाहिद अली एडवोकेट ने कहा कि केजरीवाल सरकार ने शुरू से ले कर अब तक सिर्फ़ ठगने का काम किया है, अफ़सोस की बात यह है कि सरकार ने दिल्ली के इमामों को 18 महीने से सैलरी नहीं दी है जिसकी वजह से हमारे इमाम काफ़ी परेशान हैं।मेरी दिल्ली सरकार से मांग है कि इमामों की सैलरी तुरंत रिलीज़ की जाए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *