ओखला में इस बार अमानतुल्लाह खान की राह नहीं है आसान!
ओखला:दिल्ली की ओखला विधानसभा सीट इस बार कड़े मुकाबले की ओर बढ़ रही है। आम आदमी पार्टी (आप) के विधायक अमानतुल्लाह खान, जो इस क्षेत्र से पिछले दस सालों से विधायक हैं, को इस बार कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
ओखला सीट पर विपक्षी दलों ने अपनी रणनीति तेज कर दी है। जामिया एलुमनी एसोसिएशन (AAJMI) के अध्यक्ष शिफा उर रहमान खान को आल इंडिया मजलिस इत्तेहादुल मुस्लमीन (#AIMIM)उम्मीदवार बनाए जाने के बाद मुकाबला और भी रोचक हो गया है। शिफा उर रहमान को जामिया और आसपास के इलाकों में युवाओं और समाज के अन्य वर्गों का समर्थन प्राप्त है।
उसके इलावा भाजपा ने ओखला से मनीष चौधरी का अपना उम्मीदवार घोषित किया है, कांग्रेस अभी तक अपना उम्मीदवार उतारने में नाकाम रही है। दूसरी पार्टियों के उम्मीदवार भी मैदान में हैं।जिससे यह साफ़ पता चलता है कि इस बार ओखला विधानसभा सीट से विधायक अमानतुल्लाह खान की राह आसान नहीं है।
अमानतुल्लाह के लिए बढ़ती मुश्किलें
हालांकि अमानतुल्लाह खान ने क्षेत्र में कुछ कार्य किए हैं, लेकिन जिस रफ्तार से विकास कार्य होना चाहिए था , नहीं हो पाया है ,जनता नाराज़ है और कुछ मुद्दों को लेकर जनता में असंतोष भी है। हाल के वर्षों में विवादों और विरोध के कारण उनकी लोकप्रियता पर असर पड़ा है। इसके अलावा, क्षेत्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर बदलते राजनीतिक समीकरणों ने भी उनकी राह मुश्किल कर दी है।
मतदाताओं की भूमिका होगी अहम
ओखला क्षेत्र के मतदाता इस बार निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। क्षेत्र में मुस्लिम आबादी का बड़ा हिस्सा है, जो परंपरागत रूप से आप के साथ रहा है। लेकिन जामिया नगर और शाहीन बाग जैसे इलाकों में बढ़ती सामाजिक और राजनीतिक सक्रियता के कारण यह देखना दिलचस्प होगा कि जनता किसे अपना समर्थन देती है।
मुद्दे जो बनाएंगे मुकाबला दिलचस्प
1. विकास कार्य: जनता यह देखेगी कि कौन उम्मीदवार उनके मुद्दों को बेहतर तरीके से हल कर सकता है।
2. सामाजिक संतुलन: क्षेत्र में सामुदायिक सद्भाव और शांति बनाए रखना एक प्रमुख मुद्दा रहेगा।
3. नई लहर: युवा मतदाता इस बार महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
4. किया अमानतुल्लाह खान जनता की उम्मीदों पर खड़े उतरे हैं।
5. वर्तमान विधायक जनता की नाराज़गी कैसे दूर करेंगे।
ओखला विधानसभा में इस बार का चुनाव केवल उम्मीदवारों के बीच का मुकाबला नहीं, बल्कि क्षेत्र के भविष्य को लेकर जनता की उम्मीदों और राजनीतिक परिदृश्य का निर्धारण करेगा। यह देखना दिलचस्प होगा कि अमानतुल्लाह खान अपनी सीट बचा पाते हैं या शिफा उर रहमान खान कोई नया इतिहास रचते हैं।