किया 10, 20 हज़ार वोट से शिफाउर रहमान की बेल हो जाएगी, मजलिस के पूर्व आई टी सेल हेड ने उठाए सवाल!

दिल्ली विधानसभा चुनाव: आरोप-प्रत्यारोप का दौर जारी, AIMIM के पूर्व आईटी सेल हेड का बयान सुर्खियों में

 

नई दिल्ली:दिल्ली विधानसभा चुनाव प्रचार अभियान जोरों पर है, और इसके साथ ही राजनीतिक दलों के बीच आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी तेज़ी से बढ़ रहा है। चुनावी माहौल में नेताओं के बयान और उनके समर्थकों के आरोप-प्रत्यारोप चर्चा का केंद्र बने हुए हैं।

हाल ही में, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के पूर्व आईटी सेल हेड मारुफ़ खान ने एक बयान सोशल मीडिया पर शेयर किया है। उन्होंने कहा कि अगर AIMIM उम्मीदवार शिफाउर रहमान को 10 से 20 हजार वोट मिलते हैं, तो उनको जमानत मिल जाएगी। यह बयान न केवल पार्टी के अंदर बल्कि विपक्षी दलों के लिए भी चर्चा का विषय बन गया है।

 

उन्होंने लिखा कि “हमारे दोस्त अब ये कह रहे हैं की शिफ़ा भाई की हार जीत मेटर नहीं करती इस बार सिर्फ़ उनका वोट मेटर करता है

क्या 10-20 हज़ार या उससे ज़्यादा वोट हासिल होने से शिफ़ा भाई की बेल हो जाएगी?

अगर वोट से बेल हो जाती तो मरहूम सहाबुद्दीन साहब सांसद रहते हुए जेल में नहीं मरते, अतीक अहमद, अशरफ साहब जेल में हत्या नहीं होती

अगर वोट से बेल हो जाती तो हाजी ताहिर हुसैन पार्षद रहते हुए जेल नहीं जाते, अगर वोट से बेल हो जाती तो आज़म खान, अब्दुल्लाह आज़म, नसीम सोलंकी, अब्बास अंसारी जेल में नहीं होते

मैं किसी भी जेल पीड़ित भाई के खिलाफ़ नहीं हूँ, ना ही उस पर मुक़दमा होना इस बात का सबूत है की वो गुनेहगार हैं

जैसे हमारे दोस्त कह रहे हैं की अमानत ने घोटाला नहीं किया तो जेल क्यों गए, आप बताओ क्या शिफ़ा भाई, मीरान भाई और तमाम साथियों ने क्या कोई घोटाला किया? नहीं तो सरकार मुक़दमा करती है मुक़दमे होते हैं लेकिन मुक़दमे होने से कोई अपराधी नहीं हो जाता

और इस बात में कौनसी अक़्लमंदी है की हमारे एक भाई के पैर में चोट लगी हो तो उसके ज़ख्म का इलाज करने के बजाए हम दूसरे सीधे खड़े हुए भाई का पैर तोड़ कर हिसाब बराबर कर दें?

कम से कम जो सीधा खड़ा है उसे इस लायक़ तो खड़ा रहने दें की ज़रूरत पड़ने पर वो आपको कंधा दे सके।”

 

दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला आम आदमी पार्टी (AAP), भारतीय जनता पार्टी (BJP), और कांग्रेस के बीच माना जा रहा है। ऐसे में छोटे दलों के लिए वोट प्रतिशत बढ़ाना और अपनी उपस्थिति दर्ज कराना एक चुनौती है।

इस बयान के बाद AIMIM के चुनाव प्रचार और उम्मीदवारों की स्थिति पर क्या असर पड़ेगा, यह देखने वाली बात होगी। लेकिन इतना साफ है कि चुनावी माहौल में हर बयान का महत्व है और इससे पार्टी की छवि पर असर पड़ सकता है।

बता दें कि मारुफ़ खान ने कुछ दिनों पहले AIMIM छोड़ कर आम आदमी पार्टी में शामिल हो गए हैं।

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