कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं पाया गया, एक नया मनुवादी हथियार: राहुल गांधी

No suitable candidate found, a new Manuwadi weapon: Rahul Gandhi

कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं पाया गया, एक नया मनुवादी हथियार: राहुल गांधी

 

नई दिल्ली: कांग्रेस नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने सरकारी नियुक्तियों में इस्तेमाल होने वाले शब्द “कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं पाया गया” (Not Found Suitable) को एक नया मनुवादी हथियार करार देते हुए कहा है कि यह वाक्य असल में एक साज़िश है, जिसके ज़रिए दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्गों के युवाओं को शिक्षा और नेतृत्व से वंचित रखने की संगठित कोशिश की जा रही है।

राहुल गांधी ने यह बात दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्रों के साथ एक मुलाकात के दौरान कही, जिसकी वीडियो उन्होंने हाल ही में अपने यूट्यूब चैनल और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म ‘X’ पर साझा की है। इस वीडियो में वह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि ‘Not Found Suitable’ जैसी शब्दावली का इस्तेमाल वास्तव में संविधान पर हमला है और सामाजिक न्याय के साथ एक खुला धोखा है।

राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि दिल्ली विश्वविद्यालय में 60 प्रतिशत से अधिक प्रोफ़ेसर के पद और 30 प्रतिशत से ज्यादा एसोसिएट प्रोफ़ेसर के आरक्षित पद इसी शब्द की आड़ में खाली रखे गए हैं। उनके अनुसार, ‘‘यह कोई इत्तेफ़ाक नहीं है, बल्कि देशभर के उच्च शिक्षण संस्थानों जैसे IITs और केंद्रीय विश्वविद्यालयों में इसी साज़िश को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया जा रहा है।’’

उन्होंने आगे कहा कि बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर ने शिक्षा को समानता का सबसे बड़ा हथियार बताया था, मगर मौजूदा सरकार इसी हथियार को कुंद करने पर तुली हुई है। उनके अनुसार, नई शिक्षा नीति भी इसी योजना का हिस्सा है, जिसका मकसद पिछड़े वर्गों के युवाओं से प्रतिस्पर्धा का अधिकार छीनना है।

राहुल गांधी ने शिक्षा के निजीकरण की आलोचना करते हुए कहा कि निजीकरण का असली मतलब है — संस्थानों से दलित और ओबीसी वर्गों को बाहर निकाल देना। उन्होंने कहा कि जब आरक्षण को नज़रअंदाज़ किया जाएगा और नियुक्तियों में ‘कोई उपयुक्त उम्मीदवार नहीं पाया गया’ जैसे अस्पष्ट मानदंडों को अपनाया जाएगा, तो शिक्षा में समानता का सपना केवल एक धोखा बनकर रह जाएगा।

अपनी बातचीत के अंत में राहुल गांधी ने कहा, “यह केवल शिक्षा या नौकरी की बात नहीं है, बल्कि यह हक़, इज़्ज़त और भागीदारी की लड़ाई है। हमें सभी को मिलकर संविधान की ताक़त से बीजेपी और आरएसएस की हर आरक्षण-विरोधी चाल का जवाब देना होगा।”

उन्होंने समाधान के रूप में जाति आधारित जनगणना, आरक्षण की 50% सीमा समाप्त करने, निजी संस्थानों में संवैधानिक आरक्षण लागू करने और दलित-आदिवासी सब-प्लान के लिए विशेष वित्तीय सहायता की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

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